Wednesday, June 7, 2023
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माचिस की तीलियों से बनाई जगन्नाथ की 3D मूर्ति, देश के इकलौते कलाकार होने का दावा

19 वर्षीय शाश्वत रंजन साहू एक ऐसे आर्टिस्ट हैं जिन्होंने बनाई है माचिस की तीलियों से कलाकृतियां. वह कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान मिले वक़्त ने उन्हें कुछ नया करने का अवसर प्रदान किया. लॉकडाउन के दौरान एक दिन उनके घर की लाइट चले जाने के बाद अचानक माचिस की तीली जलाते वक़्त उन्हें उस तीली से कुछ नायाब बनाने का विचार आया. और इस प्रकार शुरुआत हुई उनके माचिस की तीली से कलाकृतियां बनाने के सफ़र की.

न्यूज़ 18 से बातचीत की  शाश्वत रंजन साहू से और जाना उनके सफ़र के बारे में विस्तार से.

‘मैं हमेशा से ही दुनिया से हटकर कुछ करना चाहते थे. लेकिन, सामान्य स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के दौरान यह मुमकिन ना हो सका. स्कूल के दिनों और फिर कॉलेज के कार्यों में इतना व्यस्त हो गया कि अपनी  रुचि अनुसार किसी कला में उन्नत होने का अवसर प्राप्त न हो सका. लेकिन, लॉकडाउन के दौरान उन्हें यह अवसर प्राप्त हुआ.’

ओडिशा, पुरी, जगन्नाथ

शारीरिक विकलांगता के चलते नहीं बन पाए बॉक्सर
परिवार में पिता बॉक्सिंग कोच हैं और उनका बड़ा भाई एक नेशनल लेवल बॉक्सर है. उनका भी बचपन का सपना बॉक्सर बनना ही था, लेकिन शारीरिक तौर पर वह बॉक्सिंग के लिए फिट नहीं थे. उन्होंने छोटी सी उम्र में ही यह बात समझ ली जिसे समझने में लोगों को बरसों लग जाते हैं. उन्होंने दिव्यांग होने के बावजूद हार नहीं मानी और बॉक्सिंग का रास्ता छोड़ वह जुट गए अपने लिए एक नयी राह तलाशने में.

कला से मिली जीवन को एक नई पहचान
उनके मुताबिक, जीवन को कला के माध्यम से एक नई पहचान मिली है. बॉक्सिंग छोड़ने के बाद कुछ समय तक अवश्य ही निराशा ने घेर लिया था. लेकिन कला ने निराशा के बादल को चीर कर एक नई सुबह देखने में मदद की. कला के माध्यम से ही वह अपने जीवन को एक नई दिशा देने में कामयाब हो पाए.

बनाई माचिस की तिली की कलाकृति
वह जगन्नाथ की नगरी के रहने वाले हैं और उनकी भगवान जगन्नाथ में काफ़ी आस्था है. जिसके चलते उन्होंने अपने काम की शुरुआत उनकी कलाक्रति बनाकर ही की थी.

कुछ ही समय में उनके द्वारा माचिस से बनाई गयी जगन्नाथ की मूर्ति काफ़ी चर्चित हो गयी जिससे उनको भी काफ़ी लोकप्रियता हासिल हुई.

जानिए क्यों अलग है उनकी कला
आपको बतादें कि माचिस की तीली का प्रयोग कर कला का अभ्यास करने वाले वह एक मात्र कलाकार नहीं हैं तो फिर क्या ख़ासियत है उनकी कला और उनके द्वारा बनाई गयी कलाकृतियों की?

उनके मुताबिक अब तक लोगों ने माचिस की तीली से केवल 2D आर्ट फॉर्म बनाया था. अब तक किसी ने भी माचिस की तीली से 3D स्ट्रक्चर नहीं बनाया था. इन तीलियों से ३D स्ट्रक्चर आर्ट फॉर्म बनाने वाले वह पहले कलाकार हैं.

आसान नहीं है माचिस की तीलियों से 3D स्ट्रक्चर आर्ट फॉर्म बनाना
वह कहते हैं कि माचिस की तीली से 3d आर्ट फॉर्म बनाना बहुत ही मुश्किल है. एक कलाकृति को बनाने में कई घंटे लगते हैं. इस आर्ट फॉर्म की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कई बार तो पूरी कलाकृति पूर्ण होने के बाद तीलियां सूख कर निकलने लगती हैं और फिर से बनानी पड़ती है

पुरी, ओडिशा, जगन्नाथ

हर कलाकृति को बनाने में लगते हैं कम से कम हफ्ते
वह कहते हैं कि वह हर दिन अपनी कला को कम से कम चार-पांच घंटे समर्पित करते हैं और इतना वक़्त समर्पित करने के बावजूद हर कलाकृति को बनाने में 2-3 हफ़्तों का वक़्त लगता है. कभी-कभी इससे भी  बहुत अधिक समय लगता है. वह कहते हैं कि कलाकृति को बनाने में कितना समय लगेगा वह पूर्ण रूप से कलाकृति का आकार निर्धारित करता है.

क्या आप जानते हैं छोटी सी छोटी कलाकृति बनाने में लगती हैं कितनी तीलियां ?
वह बताते हैं कि एक छोटी सी छोटी कलाकृति बनाने में हज़ार से तीन हज़ार माचिस की तीलियों का प्रयोग होता है.  वह हर महीने थोक में खरीदते हैं इतनी सारी माचिस की तीलियां.

 वह कहते हैं कि जब भी वह दुकान से थोक में माचिस की तीलियां खरीदते तो दुकानदार सहित दुकान पर मौजूद हर व्यक्ति उनका मज़ाक उड़ाता और उनसे पूछता कि क्या वह माचिस की तीलियों को थोक में  खरीद कर बेचेंगे.

जगन्नाथ,पुरी, ओडिशा

ओडिशा के राज्यपाल और मुख्मंत्री को भी भेंट कर चुके हैं अपनी बनाई कलाकृतियां
वह कहते हैं कि उनके द्वारा बनाई गई जगन्नाथ की प्रथम कलाकृति को उन्होंने नागार्जुन में रूपांतरित कर ओडिशा के राज्यपाल श्री गणेशी लाल को भेंट की थी.  इसके अलावा राष्ट्रीय सेना दिवस पर माचिस की तीलियों का टैंक बना कर उन्होंने सेना के उप प्रमुख सीपी मोहंती को भेंट की थी. उनकी कला से प्रसन्न हो कर सेना उप प्रमुख ने शाश्वत को कमांडर पदक से सम्मानित किया.

हाल फिलहाल में वह राज्य के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक से मिले थे और इस अवसर पर उन्होंने मुख्यमंत्री को श्री गणेश की माचिस की तीलियों से बनी एक कलाकृति दी जो उन्होंने पिछले वर्ष बनाई थी.

परिवार वालों ने दिया पूरा साथ
वह कहते हैं कि हमेशा से उन्हें उनके परिवार का पूर्ण समर्थन हासिल है. वह अपने जीवन में जो भी कुछ करते हैं उस में उनका परिवार उनका पूरा साथ देता है.

इस आर्ट फॉर्म को फुल टाइम करियर बनाना एक बड़ी चुनौती
वह कहते हैं कि माचिस की तीलियों से कलाकृति बनाना एक बहुत ही मुश्किल काम है और इसमें बहुत समय लगता है. उनके मुताबिक इस कला में महारत हासिल करने के लिए व्यक्ति में सहनशीलता और सब्र होना बहुत ही ज़रूरी है. इसलिए इसमें करियर बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती है.

Tags: News18 Hindi Originals

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