हम सभी डोरंडा वासी नागरिक अपनी आवासीय भूमि से सम्बंधित समस्याओं की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करते हुए उनके समाधान के लिए आपसे सादर अनुरोध करते है |

महोदय cadastral Survey (भूकर सर्वेक्षण) जो 1932 में प्रारम्भ हुआ एवं जिसका प्रकाशन C.N.T Act छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम 1908 की धरा 23(2) के अनुसार ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा 1935 में किया गया जिसमे लगान पाने वाले के स्थान पर सेकेटरी ऑफ स्टेट फार इंडिया इन कौंसिल दर्ज है | खतियान के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है की सभी खतियानी रैयत 1935 के सर्वे के पूर्व से सम्बंधित भूमि के दखलकर रहे है | करीब 1917 या उसके पूर्व से उन्हें घर बना कर बसने का अधिकार जिसे खतियान में छप्परबंदी दर्ज किया गया है उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की ओर से मिला हुआ था जिसके लिए कबूलियत के आधार पर लगान निर्धारित किया गया था एवं तत्कालीन रैयत निर्धारित लगान का भुगतान करते आ रहे थे | 1932 का सर्वे खतियान जिसका प्रकाशन वर्ष 1935 में हुआ एवं डोरंडा निवासी सभी रैयत नियमित रूप से सरकार को मालगुजारी का भुगतान करते रहे | सभी रैयत कई पीढ़ियों से करीब 100 वर्षों से अधिक से सम्बंधित भूमि के उपयोग में है | महोदय इस बिच 100 वर्षों के अंतराल में कई राजनितिक आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन हुए | कई पीढ़ियां बदल गई पुराणी पीढ़ी के स्थान पर नई पीढ़ी आ गई | 1947 में ब्रिटिश शासन की समाप्ति के पश्चात् देश एक स्वतंत्र गणराज्य बना | प्रजातान्त्रिक सरकार का गठन हुआ | देश में कई आर्थिक सामाजिक एवं भौतिक विकास हुआ | महोदय वर्तमान में राज्य सरकार के द्वारा स्थानीयता के निति निर्धारण के लिए 1932 सर्वे खतियान को आधार मानते हुए झारखण्ड राज्य के उन्ही निवासियों को राज्य का स्थायी निवासी माना गया जिसके पूर्वजों का नाम 1932 के सर्वे खतियान में दर्ज है | दूसरी ओर करीब 100 वर्षो से या उससे अधिक अवधि से राजस्व अभिलेखों के अनुसार राज्य की भूमि पर पीढ़ियों से दखल रखने वाले एवं भू-राजस्व का भुगतान करने वाले डोरंडा वासी रैयतों को अंचल अधिकारी अरगोड़ा की ओर से लीज नवीकरण के लिए नोटिस दिया जाना असंगत प्रतीत होता है |
